Misra
Summary: कितने भी उतार चढ़ाव से ज़िन्दगी क्यों न गुज़रे, हम सभी के अनुभव कितने अद्वितीय होते हैं, फिर भी एक से। इस podcast के ज़रिये मैं अपनी ज़िन्दगी के कुछ ख़ास क्षण share कर रहा हूँ, क्या पता, आपको अपनी दिखे...
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- Artist: Pranav Misra
- Copyright: Copyright 2020 Pranav Misra
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आदमी और वक़्त की फ़ितरत यही है, एक समय के बाद दोनों गुज़र जाते हैं, और अगर मालूम है ये बात हम सभी को तो, कैसे कह दें? वक़्त है, और तेरी ज़रुरत नहीं है।
प्यार ही ऐसा ज़ख़्म है, .. आदमी अकेला ख़ुद होता है, और एक ज़माना तन्हां लगता है।
"हर इंसान आपकी ज़िन्दगी से एक वक़्त के बाद चला जाता है, फिर चाहे वो मर के हो, ... या डर के, या फिर जी भर के..."
कभी-कभी सोचता हूँ, कि उन दो बाहों के सिवा, जिनमे एक ख़्वाब, एक उम्मीद, थोड़ा सा जिस्म, थोड़ी सी नींद, एक भरोसा, और एक दिल समा जाए उससे ज़्यादा क़ीमती और नायाब क्या हो सकता है।
ये एक ऐसे विरह का क़िस्सा है, जिसके एक हाथ पर प्यार लिखा था, और दुसरे पर समय। प्यार समय-समय पर बस समय मांगता रह गया, और यूँहीं समय गुज़र गया...
हमें आज पहले से कहीं ज़्यादा संवेदनशील होने की ज़रुरत है।
पिछले कुछ दिनों में जितना वक़्त मुझे ख़ुद के साथ मिला है, कई चीज़ों को बारीक़ी से देख पा रहा हूँ, ये एक ख़याल मेरी उस मनोदशा का चित्रण है।
कुछ नहीं हुआ तुम्हें, ये दर्द है, जो सिर्फ़ सोचते हो तो है, ये ज़िन्दगी भी इसी तरह, सिर्फ़ सोचते हो तो है, ये सिर्फ़ मौत है, जो कोई सोचता नहीं, फिर भी है।
कितने भी उतार चढ़ाव से ज़िन्दगी क्यों न गुज़रे, हम सभी के अनुभव कितने अद्वितीय होते हैं, फिर भी एक से। इस podcast के ज़रिये मैं अपनी ज़िन्दगी के कुछ ख़ास क्षण share कर रहा हूँ, क्या पता, आपको अपनी दिखे...